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Types of Yoga asanas योगा कितने प्रकार के होते है, और क्या-क्या लाभ होता है?

Yoga Exercises योग सम्बन्धी आसन कितने है, इस विषय पर अलग – अलग तरह के मतभेद पाये जाते है! परन्तु अधिकांश योग शास्त्रों में विशेष रूप से 84 लाख असनो का उल्लेख मिलता है! जिसमे से कुछ आसन में आपको बताऊंगा तथा योगा से होने वाले लाभ क्या है उसके बारे में भी जानेगें !

  • शारीरिक महत्त्व- योग शरीर को सख्त एवम् हष्ट-पुष्ट बनाने में हमारी मदद करता है
  • जब हम योग करते है साँस अन्दर बहार करते है इससे हमारे फेफड़ो फैलते तथा सिकुड़ते है जिससे हमारी शारीरिक शक्ति बदती है
  • योगासन से पाचन क्रिया (Digestion) नियंत्रित होती है
  • योगासन से घुटनों के दर्द (yoga for knee pain) लाभ होता है
  • योग से रीढ़ कि अस्थि तथा मासपेशीय उचित रूप से लचीली होजाती है तथा उन पर शरीर का नियंत्रण बना रहता है
  • योग से गर्दन के दर्द (yog for neck pain) में भी आराम मिलती है
  • यदि किसी कारण बस शरीर में कोई रोग होगया हो तो उसे योग साधना से दूर किया जा सकता है
  • योग साधना से धारण शक्ति, ग्रहण करने की क्षमता, इस्मरण शक्ति आदि की वृधि होती है
  • प्रतिदिन योगासन करने से (yoga for sleep) नींद अच्छी आती है-

Posture आसन चार अवस्था से किये जाते है जैसे :-

  1. Sittinig Posture (बैठकर किये जाने वाले आसन) – ये आसन स्थिर स्थिति में बैठ कर किये जाते है! सुखासन, पद्मासन, सिंघासन, बज्रासन, आदि आसन इस क्षेणी में आते है !
  2. Standing Posture (खड़े होकर किये जाने वाले आसन) – इस आसन में व्यक्ति को खड़े होकर अपने आप को स्थिर कर संतुलित करना होता है; तंडासन, तिकोनासन, वृक्षासन, आदि ऐसे आसन होते है!
  3. Lying Posture (लेटकर किये जाने वाले आसन) – इस असनो में व्यक्ति को लेटकर अपने शरीर को स्थिर और संतुलित एवं संतुलन बनाना पड़ता है; भुजंगासन, मकरासन, अर्थ-श्येनासन, तथा शवासन आदि असनो का उल्लेख किया जाता है!
  4. Inverted Posture (उल्टा होकर किया जाने वाला आसन) – इस असनो में व्यक्ति को अपने सिर या शरीर के ऊपरी भागो को जैसे- सिर, गर्दन, तथा धड को निचे तथा निचे के भागो पैर, पंझे को ऊपर की ओर स्थिर व् संतुलित करना होता है; सिर्शासन, सर्वागासन, आदि ऐसे आसन होते है!

इन शारीरिक स्थितियों में संपन्न किये जाने वाले 84 लाख असनो कि इस एक पोस्ट में विवेचना करना सम्भव तो नहीं है; किन्तु असंभव भी नहीं है लेकिन हम आपको इस अध्ययन में कुछ महत्वपूण असनो के बारे में बताएंगे !

Sukhasana (सुखासन) Sitting Pose Yoga Exercises

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Sukhasana yoga

सुखासन बैठकर किये जाने बाले आसन में ये आसन सबसे सरल उर सुखकारी है ! यह इस तरह से प्रारंभिक अवस्था में किये जाने वाला आसन है जिसे हर कोई व्यक्ति बहोत ही आसानी से कर सकता है-

Method of Practice (करने की विधि) –

इस आसन को करने के लिए किसी चटाई या दरी इत्यादि पर बैठ जाइये और क्रमशः निम्न प्रकार आगे बढिए –

  1. अपने दोनों पैर आगे फैलाये !
  2. एक पैर के पंजे को अपने हाथ से पकड़िये और इसे दुसरे पैर की जांघ के निचे रखिये !
  3. जब दुसरे पैर को घुटने के जोड़ के स्थान पर मोड़िये और उसे दूसरी जांघ पर रख दीजिये !
  4. अपने हाथों की हथेलियों को इस प्रकार रखिये कि हाथों की कोहोनियो को आराम मिले !
  5. अपनी कमर कि रीढ़ की हड्डी को सीधा रखिये तथा सिर और गर्दन को भी सीधा रखिये! Chest सीना ताना हुआ पेट अन्दर अन्दर रहे इस बात का ध्यान रखें !
  6. अब आंखे बंद कर लीजिये और सभी प्रकार की चिन्ताओ को त्यागकर आराम की मुद्रा yoga for sleep ध्यान की स्थिति बैठ जाये ध्यान कीजिये जितना समय दे पाये उतनी देर तक ध्यान करते रहे !

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Sukhasana सुखासन से होने बाले लाभ इस प्रकार हैं –

  • गलत तथा अनुचित आसन के करण जो शरीर में विकृतिया पैदा होती है उनका निराकरण हो सकता है !
  • यह आसन रक्त संचार प्रक्रिया तथा पाचन क्रिया को सुचारू रूप से चलने में भी सहयोगी सिध्य होता है !
  • मानसिक तनाव व् चिन्ताओ से मुक्त होकर मानसिक शांति की प्राप्ति होती है!
  • ध्यान, धारण और समाधि लगाने के लिए यह आसन प्रारम्भिक भूमिका तथा उचित आधार भूमि तैयार करने में काम आ सकता है !

Siddhasana (सिद्धासन) Sitting Pose Yoga Exercises

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Siddhasana Yoga Exercises

सिद्धासन इस आसन में साधक ध्यान, पूजा-पाठ, भजन, प्राणायाम, समाधि आदि क्रिया सम्पन कर सकता है, जिससे उसे सिद्धि प्राप्ति होती है अतः इसे सिद्धासन कहते है!

Method of Practice (करने की विधि)

  1. इसके अभ्यास के लिए दोनों पैर सामने फैलाकर बैठे!
  2. दाहिने पैर को गुदा व अंडकोश के बीच में शिवली नाढ़ी पर लगाये !
  3. बाये पैर को जननेद्रिय पर रखे !
  4. ध्यान रहे कि दोनों पैर के अंगूठे जन्घो व पिंडलियों के बीच में स्थिर रहे !
  5. दोनों हाथों को गोद में रखते हुये मेरुदंड को सीधा रखें !

इसके लाभ – इसके अध्यन से कुण्डलियाँ जागृत होती है ! यह ध्यान में सहायक है!

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Padmasana (पद्मासन) Sitting Pose Yoga Exercises

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Padmasana Yoga Exercises

Yoga Exercises (पद्मासन) को कमलासन भी कहा जाता है वो इसलिए इसे करते समय साधक कि स्थिति कमल की तरह हो जाती है जैसे कमल कीचड़ में खिलते हुये भी पानी और कीचड़ को स्पर्स नहीं कर सकता वैसे ही साधक को भी भौतिक क्लेश तथा चिन्ताओ से मुक्ति मिल जाती है! योग-साधना तथा ध्यान के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले आसनों में इसका काफी महत्वपूण स्थान है !

Method of Practice (करने की विधि) Yoga Exercises

  1. दाहिने पैर को उठा कर बाई जांघ पर रखिये और इसी तरह बाये पैर को उठाकर दाई जांघ पर (जैसा की ऊपर फोटो में दिया है) रखिये ! ध्यान रहे कि ऐसा करने पर दोनों पैरो की एड़ियाँ नाभि के पास आपस में मिल जाये !
  2. अपने दोनों हाथों को गोद में रखिये रीढ़ की हड्डी, गर्दन तथा सिर को सीधा रखिये तथा कुहनियों को आराम स्थिति में लाइए तथा कमर को भी आराम की स्थिति प्रदान कीजिये !
  3. अब आंखें बंद कर लीजिये तथा चिंता एवं तनाव को दूर करके ध्यानमग्न होने का प्रयास कीजिये ! ध्यान की एकाग्रता के लिए अपनी नासिका के अग्र भाग पर अपनी द्रस्ती ज़माने का प्रयास कीजिये !

Padmasana पद्मासन से होने वाले लाभ

  • पद्मासन करने से कमर के निचे के भाग कि नस, नाडिया मजबूत होती है तथा जोड़ लचीले हो जाते है!
  • रीढ़ की हड्डी तथा टांगो को मजबूती तथा शक्ति प्राप्त होती है !
  • रक्त संचार ठीक रहता है तथा पाचन शक्ति सुधरती है !
  • कुण्डलनी शक्ति को जाग्रत करने तथा ब्रह्मचर्य रक्षा में मदद मिलती है !

PM Awas List (Rural/Urban)

Bhujangasana (भुजंगासन) Yoga Exercises

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bhujangasana

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